मेरे पापा




जग से लढते वक़्त कभी, 
खुद अकेला न पाया।
सवालो का भवंडर जब जब सताने आया,
तब आपके ही गर्म हातो को सिरपर पाया। 
अगर आप हमारा साथ न देते,
तो न जाने आज हम क्या होते।
पापा से ज्यादा आपमें
एक दोस्त नजर आता है।
जो गलतिया दिखाता है,
और वक़्त पे सही रास्ता भी।
जो मेरे राजभी मेहफूज रखता है,
कही अपनी छोटीसी तिज़ोरी मैं।
जो खुद का दर्द कभी न बया करता,
तूफानों से अकेलाही लढता रहता।
हरपल मुस्कराता रहता है,
 न पूछता कुछ सवाल हैं।

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