अनजान शहर,
अनजान लोग।
कोई अपना मिल नही रहा,
अकेले हम यहाँ।
वैसे तो तरकि कर रहे हैं,
पर खुशी क्या नही मिलती यहाँ।
गुमसुम हो रहे हम यहाँ।
झूठे लोग ,
झूठे इनके एहसास।
प्यार से बोलते है,
पर मन मैं कुछ और।
इनमे रहना है कुछ समय।
दिन गिन रहे है,
राते काट रहे है।
आगे क्या होगा पता नही।
एक तो जलके ख़ाक हो जाएंगे,
या फिर अच्छे से निखर जाएंगे।
अनजान राह न कोई साथ चले
उत्तर द्याहटवाअनजान राह न कोई साथ चले
उत्तर द्याहटवा