अभि तो ओर जिना है,

अभि तो ओर जिना है,
सपनों में मुझको खोना है।
जरासा यक़ीन करना है,
कभी तो धोका सहना है।
अभि तो ओर जिना है,
बहुत चीजों को पाना है।
अभी तो बहुत दूर जाना है,
कभी तो थम के भी रहना है।
मायूसी में भी कभी  खोना है,
फिर खुद को सहलाना है।
 फिर उठ खड़ा होना है।
अभि तो ओर जिना है...

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