अफसाना

आज कल निगाहों से निगाहें नहीं मिलती, 
आज कल होठों से बात नहीं निकलती।
पहले अफसाना ऐसा ना था,  
पहले अफसाना कुछ ओर था।
जब बात बिगड़ जाती थी,
तो अनदेखा कर कर भी,
देखते रहते थे।
और अनसुना कर कर,
भी सुनते रहते थे।
पर आज इस दोस्ती में, 
कितने बदल गए हैं रास्ते।
 बात बिगड़ी नहीं,
 फिर भी निगाहों से निगाह नहीं मिलती।

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